बिहार के कटिहार में एक अनोखा मामला देखने को मिल रहा है जहां पर एक बहू ने जब अपने पहले बच्चे के रूप में बेटी को जन्म दिया है तब उसके ससुराल वाले उदास होने की बजाय जमकर खुशियां मनाते नजर आ रहे हैं और उन लोगों ने कुछ ऐसा किया है जिसको देखकर हर कोई यह कहता नजर आ रहा है कि अगर हर ससुराल पक्ष ऐसा ही हो जाए तो किसी भी बहू बेटी को परेशानियों का सामना ना करना पड़े।
कटिहार के इस बहू के प्रति उनके ससुराल वालों का रवैया जिसने भी देखा है तो वह जमकर उनकी प्रशंसा करता नजर आ रहा है और आइए आपको बताते हैं आखिर क्यों इस बहू ने जब पहली संतान के रूप में बेटी को जन्म दिया है तो घरवाले देवी की तरह अपनी बहू को डोली पर सजा कर पूरे गांव में घुमा रहे हैं।
गांव वालों को देना चाहता है यह परिवार संदेश, बहू को इस वजह से सजा कर घुमाया पूरे गांव में
एक तरफ जहां कई लोग बेटियों को अभिशाप मानते हैं वहीं बिहार के कटिहार जिले में स्नेहा कुमारी नाम की एक महिला ने प्यारी सी बेटी को जन्म दिया था और इस बेटी को जन्म देते ही उनके ससुराल पक्ष के लोग इतने ज्यादा खुश हो गए कि उन्होंने अपनी बहू को बिल्कुल फिर से दुल्हन की तरह सजाया और ठीक उसी तरह से अपने घर पर लेकर आए जिस तरह स्नेहा कुमारी पहली बार अपने ससुराल दुल्हन की तरह सज कर आई थी।
खुद स्नेहा कुमारी के पति मयंक आर्यन अपनी बेटी के जन्म से खुशी से फूले नहीं समा रहे हैं और अपनी पत्नी को खूब शुक्रिया अदा कर रहे हैं। आइए आपको बताते हैं स्नेहा की सास ममता देवी ने कैसे यह बात बताया है कि वह गांव वालों को कुछ ऐसा संदेश देना चाहते थे जिसके लिए ही उन्होंने यह अनोखा तरीका निकाला जो काफी हद तक काम कर गया।
दुल्हन को इस वजह से सजा कर घूमाते आए नजर घर वाले, गांव वालों को देना चाहते थे यह संदेश
बिहार के कटिहार जिले में जिसने भी ससुराल पक्ष के द्वारा एक बहू को दोबारा दुल्हन बनाकर पूरे गांव में घूमाते देखा तो उन्हें यह बात समझ नहीं आई क्योंकि इस बहू ने कुछ दिन पहले ही एक प्यारी सी बेटी को जन्म दिया था और बेटी के जन्म की खुशियां इस घरवालों ने इतनी धूमधाम से मनाई कि हर कोई इस घरवाले की जमकर तारीफ करता नजर आ रहा है। स्नेहा खुद इस बात पर बेहद भावुक हो गई और यह कहते नजर आई की जब मेरी संतान के रूप में पहली बेटी हुई तो मुझे लगा कि मेरे घरवाले मुझे ताना देंगे लेकिन स्नेहा की सास ममता ने बताया कि दरअसल इस गांव में महिलाओं और पुरुषों के बीच बहुत बड़ा अंतर माना जाता है और इसी वजह से उन लोगों ने गांव वालों को सीख देने के लिए यह तरीका अपनाया जिससे आने वाले समय में भी लोग बेटियों को जन्म के बाद अभिशाप नहीं माने बल्कि जमकर खुशियां मनाएं।