आमतौर पर गांव और शहरों में यह देखा जाता है कि किसी भी बुजुर्गों के निधन के उपरांत मृत्यु भोज रखा जाता है जिससे जिनका निधन हुआ है उनकी आत्मा को शांति प्रदान हो।
गांव समाज में इस भोज को बहुत पवित्र माना जाता है लेकिन हाल ही में बिहार के मधुबनी के रहने वाले एक बेटे ने अपने पिता के निधन के बाद किसी को भी इस भोज के लिए नहीं बुलाया। अपने पिता के निधन के बाद इस शख्स ने रूढ़िवादी परंपरा को तोड़ते हुए एक ऐसा कदम उठाया जिसको देखकर लोग जमकर उनकी सराहना करते नजर आ रहे हैं और यह कहते नजर आ रहे हैं कि यह शख्स दूसरे लोगों के लिए मिसाल पेश कर रहा है।
आइए आपको बताते हैं सुधीर झा नाम के इस शख्स ने कैसे अपने पिता के निधन के बाद भोज ना करवाकर गांव में कुछ ऐसा कर दिया जिसको देखकर लोग उनकी तारीफ करने लगे हैं।
सुधीर झा के पिता का हुआ था बीते दिनों ही निधन, बेटे ने पूरी की पिता की अंतिम इच्छा
अपने पिता की अंतिम इच्छा पूरी करने के लिए एक बेटे ने ऐसा कदम उठाया है कि हर कोई उसकी प्रशंसा करता नजर आ रहा है। दरअसल मधुबनी के रहने वाले सुधीर झा के पिता बीते दिनों चल बसे थे और उनके निधन के उपरांत सबको यह उम्मीद थी कि सुधीर बाकी लोगों की तरह अपने पिता के निधन का भोज लोगों को खिलाएंगे।
इधर दूसरी तरफ सुधीर झा जिनके पिता महादेव झा का बीते दिनों ही स्वर्गवास हुआ था उनके मन में कुछ और ही चल रहा था क्योंकि उनके पिता ने मरने से पहले उनसे कुछ ऐसा वादा लिया था जिसको सुधीर कुमार को हर हाल में निभाना था।
आइए आपको बताते हैं कैसे सुधीर ने अपने पिता के अंतिम वादे को निभाने के लिए कुछ ऐसा अनोखा काम किया जिसको देखकर सभी लोग इस बेटे की जमकर प्रशंसा करते नजर आ रहे हैं।
सुधीर झा ने दिल जीत लेने वाला किया यह काम, अपने पिता की करदी अंतिम इच्छा पूरी
बिहार के मधुबनी में रहने वाले महादेव झा बीते दिनों चल बसे जिसके बाद उनके बेटे के कंधों पर उनके क्रिया कर्म की पूरी जिम्मेवारी आ गई थी। क्रिया कर्म को पूरा करने के बाद जब महादेव झा के अंतिम भोज का समय आया तब सुधीर झा यह कहते नजर आए कि वह अपने पिता के निधन का भोज किसी को भी नहीं खिलाएंगे।
हर कोई यह सुनकर हतप्रभ रह गया की आखिर क्यों सुधीर झा अपने पिता के श्राद्ध का भोज नहीं करवा रहे हैं। लगातार सवालों के बीच खुद सुधीर झा ने बताया कि उनके पिता की यह अंतिम इच्छा थी कि उनके श्राद्ध कर्म में जो पैसे खर्च होंगे उन पैसों के बदले वह कुछ ऐसा काम करें जिससे गांव वालों का भला हो जाए और इसी वजह से सुधीर झा ने अपने पिता के स्वर्गवास के बाद लोगों को भोज भंडारा ना करवाते हुए गांव की सड़क का निर्माण करवा दिया।
जिसने भी सुधीर झा के इस सराहनीय कदम को देखा है तो वह जमकर उनकी तारीफ करता नजर आ रहा है और यह कह रहा है कि भगवान ऐसा बेटा सबको दे।