महावीर बजरंगी के जन्म उत्सव पर उनके सभी भक्त उनकी आराधना करते हुए देखे जा रहे हैं और हर किसी को यह बात पता है कि हनुमान जी से बड़ा पराक्रमी योद्धा पूरे रामायण में कोई भी नहीं था लेकिन उसके बाद भी वह बेहद सौम्य स्वभाव के थे।
आज उनके जन्म उत्सव पर हम आपको बताएंगे उनके द्वारा प्राप्त अष्ट सिद्धियां जिसका प्रयोग करके ही उन्होंने श्री राम को रावण को हराने में सहायता प्रदान की थी। आइए आपको बताते हैं बजरंगबली को वह कौन सी सिद्धियां प्राप्त हैं जिनके पराक्रम की बदौलत वह बेहद बलशाली थे।
अणिमा
बजरंगबली के द्वारा प्राप्त की गई सिद्धि अणिमा ऐसी सिद्धि थी जिसे बजरंगबली अपने मन मुताबिक कभी भी प्रयोग कर सकते थे। इसी सिद्धि का प्रयोग करके बजरंगबली ने लंका में प्रवेश किया था और मां सीता से वह मिले थे। इस सिद्धि का इस्तेमाल वह तब करते थे जब उन्हें किसी की नजरों से बचकर कहीं जाना होता था।
महिमा
बजरंगबली को सबसे बेहतरीन सिद्धियों में से एक महिमा सिद्धि भी हासिल है जिसमें वह जब चाहे तब विशालकाय रूप धारण कर सकते थे। लंका जाने के समय जब समुद्र को उन्हें पार करना था तब उसी दौरान उन्होंने अपना शरीर 100 गुना बढ़ा कर लिया था और इस विधि का प्रयोग करके वह बेहद बलशाली बन जाते हैं।
गरिमा
गरिमा सिद्धि का प्रयोग करने के बाद बजरंगबली अपने शरीर के भार को किसी पर्वत के समान भारी कर सकते हैं ताकि कोई भी योद्धा उन्हें हिला नहीं सके। रामायण में कई मौकों पर हनुमान जी को इस सिद्धि का उपयोग करते हुए भी दिखाया गया है।
लघिमा
बजरंगबली के अष्ट सिद्धि में से लघिमा एक ऐसी सिद्धि है जिसका प्रयोग वह सबसे ज्यादा करते थे क्योंकि इस सिद्धि के तहत वह पलक झपकते ही कहीं पर भी जा सकते थे।
प्राप्ति
हनुमान जी के सबसे कुशल सिद्धियों में प्राप्ति सिद्धि का नाम माना जाता है जिसके कारण वह किसी भी पशु पक्षियों की भाषा को तुरंत ही पहचान पाने में माहिर थे और उसके अलावा वह किसी भी व्यक्ति के अंतर्मन में क्या चल रहा है इस बात को भी ज्ञात कर लेते थे और इसी वजह से इस सिद्धि को हनुमान जी ने खुद सबसे विशेष बताया है।
प्रकाम्य
प्रकाम्या सिद्ध हनुमान जी की सबसे ताकतवर सिद्धि मानी जाती है क्योंकि इसकी बदौलत वह किसी का भी रूप धारण कर सकते हैं और साथ में वह धरती लोक से लेकर पाताल लोक और आकाश लोक में भी ऊंची उड़ान भर सकते हैं जिसके कारण ही इस सिद्धि के ख्याति बहुत लोकप्रिय है।
ईशित्व
इस के बल पर हनुमान जी ने समस्त देवी देवताओं के ताकत और पराक्रम के आशीर्वाद को प्राप्त किया था। इसके लिए उन्होंने घोर तपस्या की थी और तब सभी देवी देवताओं ने मिलकर उन्हें हमेशा अजय रहने का वरदान दिया था।
वशित्व
हनुमान जी की आठवीं सीधी वशित्व है जिससे वह अपने वाणी और ह्रदय से किसी को भी पल भर में अपना बना लेते हैं और उसे यह विश्वास दिला देते हैं कि वह किसी को किसी प्रकार की कोई नुकसान नहीं पहुंचाएंगे।