भारत में यूपीएससी की परीक्षा सबसे ज्यादा कठिन मानी जाती है क्योंकि इसमें हर साल लाखों प्रतिभागी शामिल होते हैं लेकिन उनमें कुछ चुनिंदा छात्र और छात्राओं को ही सफलता मिलती है।
इस परीक्षा के लिए ना सिर्फ अथक परिश्रम करना पड़ता है बल्कि अपना सब कुछ न्यौछावर करना पड़ता है और इन दिनों सोशल मीडिया पर ऐसी ही एक यूपीएससी परीक्षा के टॉपर की कहानी वायरल हो रही है जिनके संघर्षों की कहानी को सुनकर लोग यह कहते नजर आ रहे हैं कि इस बिटिया ने इतना संघर्ष अपने जीवन में देखा है कि उनकी जगह पर कोई और होता तो वह हार मान लेता।
यह कहानी है हरियाणा के महेंद्रगढ़ में रहने वाली बिटिया दिव्या तंवर की जिन्होंने 2021 में अपने पहले ही प्रयास में यूपीएससी की परीक्षा में बाजी मार ली। आइए आपको बताते हैं कैसे लंबे संघर्ष के बाद दिव्या आज उस मुकाम पर पहुंच चुकी है कि सभी लोग उनकी तारीफ कर रहे हैं और साथ में उनके संघर्ष की दास्तान को सुनकर उनकी सराहना भी कर रहे हैं।
दिव्या ने लंबे संघर्ष के बाद पाया है यह मुकाम, 2021 में पास की थी परीक्षा
हरियाणा की आईएएस अधिकारी दिव्या की कहानी इन दिनों लाखों लोगों के मनोबल को बढ़ाने का काम कर रही है। आपको बता दें कि दिव्या के संघर्षों की कहानी इस वजह से भी लोगों को खूब पसंद आ रही है क्योंकि जब वह अपनी पढ़ाई पर ध्यान केंद्रित कर रही थी उसी दौरान उनके पिता का साया उनके ऊपर से उठ गया जिसके बाद भी दिव्या ने हार नहीं मानी और अपने लक्ष्य के ऊपर ही वह केंद्रित वही।
बीएससी पास करने के बाद वह यूपीएससी की परीक्षा में जुट गई और उनकी मां की सबसे बड़ी खासियत यह है कि उन्होंने सिलाई कढ़ाई के अलावा अपनी बेटी को पढ़ाने के लिए मजदूरी का भी सहारा लिया और आइए आपको बताते हैं कैसे अपनी मां की मेहनत को सफल करते हुए उनकी बिटिया ने 2021 में परीक्षा में बाजी मार ली।
दिव्या ने बताया अपनी सफलता का राज, बंद कमरे में करती थी 10 घंटे से भी ज्यादा पढ़ाई
हरियाणा की बिटिया दिव्या ने जैसे ही साल 2021 में यूपीएससी की परीक्षा पास की तब उसके बाद उन्होंने अपनी मां को किसी भी काम को करने से मना कर दिया और उसके बाद उन्होंने अपने घर की जिम्मेदारी संभाल ली।
दिव्या की प्रतिभा का लोहा पूरी दुनिया मान रही है और साथ में दिव्या ने यह भी बताया कि उन्होंने इस मुकाम पर आने के लिए लंबा संघर्ष किया है क्योंकि एक ही कमरे में जब वह अपने पूरे परिवार के साथ रहती थी तब कई मौको पर उन्हें पढ़ाई में दिक्कत आती थी लेकिन बिना रुके वह 10 घंटे से लेकर 12 घंटे तक पढ़ाई करती थी और उन्होंने कभी भी इस परीक्षा के लिए बाहर जाकर कोचिंग पढ़ने का सहारा नहीं लिया और इसी वजह से दिव्या की प्रतिभा की सभी लोग सराहना करते नजर आ रहे हैं और यह कह रहे हैं कि वाकई में इस दिव्या ने लंबे संघर्ष के बाद यह मुकाम पाया है जिसे सुनकर लोगों का मनोबल बढ़ रहा है।