कहते हैं अगर मेहनत पूरे दिल से की जाए तो निश्चित रूप से सफलता मिलती है। आज ऐसी ही एक कहानी के बारे में हम आपको बताने जा रहे हैं जिनका नाम है जयराम बानन जयराम बानन आज किसी पहचान के मोहताज नहीं है क्योंकि आज भारत में उनकी कंपनी का विस्तार शानदार ढंग से हो चुका है और वह 300 करोड रुपए से ज्यादा के मालिक हैं जिससे साफ पता चलता है कि उन्होंने कितनी शिद्दत से अपनी कंपनी को आगे बढ़ाया है।
लेकिन आपको बता दे की जय राम बानन के लिए इस मुकाम पर पहुंचना बिल्कुल भी आसान नहीं था क्योंकि सिर्फ 13 साल की उम्र में ही उन्होंने अपने घर को छोड़ दिया था और उसके बाद उन्होंने सफलता की नई कहानी को लिखा था।
आइए आपको बताते हैं जय राम बानन ने कैसे महज 13 साल की उम्र में ही अपने घर को छोड़ दिया था जिसकी जानकारी सबको लग चुकी है और सभी लोग उनकी मेहनत और लगन की तारीफ करते नजर आ रहे हैं।
पिता की मार के डर से जयराम ने छोड़ दिया था अपना घर, 18 रुपए में की थी पहले नौकरी
जयराम बानन जो सागर रत्ना स्वीट्स के मालिक है आज उनकी कहानी लोगों को बहुत पसंद आ रही है। आपको बता दे की जय राम जब सिर्फ 13 सालों के थे तब वह परीक्षा में पास नहीं हो पाए थे और तब उन्हें अंदाजा हो गया था कि उनके पिता घर जाने पर उनकी खूब पिटाई करेंगे और इसी डर से उन्होंने अपने कर्नाटक वाले घर को छोड़कर मुंबई जाना उचित समझा मुंबई में वह एक चिर परिचित रिश्तेदार के यहां रुके और उसके होटल में काम करने लगे।
वहां पर उन्हें बर्तन धोने के लिए 18 रुपए हर महीने मिलता था। उनकी लगन और प्रतिभा को देखकर धीरे-धीरे उन्हें ऊंचा पद मिला और वह मैनेजर के पद पर तैनात हो गए। आइए आपको बताते हैं कैसे उन्होंने अपने पहले रेस्टोरेंट की नींव डाली जिसकी जानकारी सबके पास लग चुकी है।
1947 में खोला जय राम ने अपना पहला रेस्टोरेंट, डोसा किंग के नाम से है मशहूर
जय राम बानन ने कई सालों तक रेस्टोरेंट में काम करके अपने अनुभव को बढ़ाया और उसके बाद उन्होंने साल 1947 में अपना पहला रेस्टोरेंट खोला। आज पूरी भारत में उन्हें डोसा किंग के नाम से पहचाना जाता है और जय राम का हमेशा से यही कहना था कि वह अपने रेस्टोरेंट में सफाई का भरपूर ध्यान रखना चाहते थे और उन्होंने कभी भी गुणवत्ता से समझौता नहीं किया उनकी यही पहचान आगे चलकर उनके बहुत कम आई जिसकी वजह से ही उनके रेस्टोरेंट को खूब सफलता मिली।
आज सागर रत्ना रेस्टोरेंट के कई आउटलेट्स भारत में खुल चुके हैं और उन सबके इकलौते मालिक खुद जयराम है। उनका कहना है कि उन्होंने कभी भी गुणवत्ता से समझौता नहीं किया है और यही चीज उनके सबसे ज्यादा काम आई है जिस किसी ने भी जयराम के इस संघर्ष भरे दास्तान को सुना है तब सभी लोग उनकी तारीफ करने लगे हैं और यह कहते नजर आ रहे हैं कि अपनी मेहनत की बदौलत उन्होंने बहुत ऊंचा मुकाम हासिल कर लिया है।